मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (MAHSR) पर देश के पहले बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का निर्माण तेज़ी से जारी है। इस कॉरिडोर में बुलेट ट्रेन की गति लगभग 320 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी, जो मुंबई और अहमदाबाद के बीच की यात्रा को काफी तेज़ बना देगी। दोनों शहरों के बीच की 508 किलोमीटर की दूरी बुलेट ट्रेन सिर्फ 2 घंटे 07 मिनट में तय कर सकेगी, जो वर्तमान में यात्रा का समय बहुत कम कर देगा।
इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में कुल 12 स्टेशन बनाए जा रहे हैं, और इन स्टेशनों की खास बात यह है कि इन्हें विभिन्न थीमों के आधार पर डिज़ाइन किया जाएगा। इन स्टेशनों की संरचनाओं पर हर थीम का असर साफ़ तौर पर देखा जा सकेगा, जो इनका एक अनूठा और आकर्षक रूप बनाएगा।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन हाई स्पीड कॉरिडोर के 12 स्टेशनों के नाम
1. मुंबई
2. ठाणे
3. विरार
4. बोईसर
5. वापी
6. बिलीमोरा
7. सूरत
8. भरुच
9. वडोदरा
10. आणंद
11. अहमदाबाद
12. साबरमती
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के सभी 12 स्टेशनों को कौन सी थीम के आधार पर बनाया जा रहा है?
इस बारे में विस्तार से जानकारी देने के साथ ही आपको ग्राफिक्स (Graphics) की मदद से बनाए गये फोटो भी दिखाते हैं कि पूरी तरह से बन जाने के बाद दिखने में वो कैसे दिखेंगे!

इस लिस्ट की शुरुआत हम मायानगरी मुंबई के साथ ही करते हैं। अरब सागर के तट पर बसे इस शहर के बुलेट ट्रेन स्टेशन की इमारत भी समुद्र की लहरों की तरह ही दिखाई देने वाली है। मुंबई स्टेशन का डिजाइन आसमान में बादल और नीचे समुद्र की ऊंची उठती लहरों से प्रभावित होने वाला है।

ठाणे शहर को उल्हास नदी के किनारे पर बसाया गया है। ठाणे स्टेशन की जो इमारत बनायी जा रही है, उसका छत नदी की तरंगों जैसा महसूस करवाएगा। नदी में जब तरंगें उठती हैं, तब वह जिस तरह बेहद सुन्दर तरीके से लयबद्ध तरीके से आगे बढ़ती हैं, ठाणे स्टेशन का छत (Roof) भी बिल्कुल पानी में उठती तरंगों जैसा ही तैयार किया जा रहा है।

महाराष्ट्र में बन रहा बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का यह तीसरा स्टेशन है। पहाड़ी इलाके में बसे विरार स्टेशन का डिजाइन बिल्कुल पहाड़ों से टकराकर आते हवा के किसी झोंके से प्रभावित लगता है। स्टेशन का यह डिजाइन विरार शहर की प्राकृतिक सुन्दरता और पहाड़ों से आती ठंडी हवा का प्रतीक है।

यह बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का महाराष्ट्र में आखिरी स्टेशन है। बोईसर में बड़ी संख्या में कोंकणी समुदाय के लोग रहते हैं, जो मछली पकड़कर अपना जीवनयापन करते हैं। बोईसर बुलेट ट्रेन स्टेशन का डिजाइन भी मछली पकड़ने वाली जाल से प्रभावित है। यह इस तटवर्तीय शहर, यहां रहने वाले मछुआरों और मछली पकड़ने की इस परंपरा का प्रतीक है।

यह बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के गुजरात में प्रवेश करने के बाद पहला स्टेशन है। वापी स्टेशन औद्योगिक क्षेत्रों के पास स्थित है। इसलिए वापी स्टेशन के डिजाइन को तैयार करते समय इस शहर की तेज रफ्तार और लोगों की तेज रफ्तार वाली जीवनधारा को ध्यान में रखा गया है।

हम सभी को पता है कि बिलीमोरा के आम के बागिचे कितने फेमस है जिसकी छाप बिलीमोरा बुलेट ट्रेन स्टेशन पर भी देखने को मिलेगी। स्टेशन की बाहरी डिजाइन में आम के पेड़ों जैसे आकार बनाए हुए हैं। ये जालीदार डिजाइन पैसेंजर एरिया में सूरज की रोशनी और हवा की आवाजाही में मददगार भी साबित होंगे।

अपने हीरों के व्यापार के लिए सूरत दुनिया भर में एक चमकता सितारा है। फिर भरा सूरत बुलेट ट्रेन स्टेशन से हीरों की चमक को कैसे दूर किया जा सकता है। सूरत बुलेट ट्रेन स्टेशन की छत और इमारत पर हीरों के आकार वाला डिजाइन बनाया जाएगा जो इस बात की गवाही देता है कि यह शहर दुनिया भर में हीरों के व्यापार के लिए कितना ज्यादा प्रसिद्ध है।

भरुच में पिछले लगभग 150 सालों से कपास की बुनाई का काम होता है। भरुच की इस ऐतिहासिक धरोहर के प्रति सम्मान जताते हुए ही बुलेट ट्रेन स्टेशन का डिजाइन भी तैयार किया गया है। यह स्टेशन एक तरह से भरुच की ऐतिहासिकता और कलाकारी को समर्पित है।

वडोदरा स्टेशन का डिजाइन इसके नाम से ही मिलता-जुलता बनाया गया है। इस स्टेशन का डिजाइन तैयार करते समय यहां मौजूद बड़ी संख्या में बरगद के पेड़ों और शहर के नाम वडोदरा (वद मतलब बरगद) को ध्यान में रखा गया था।

किसी समय गुजरात के आणंद को भारत का दूध का शहर कहलाता है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में डेयरी उत्पादन के लिए कारखाने मौजूद हैं। इसलिए आणंद बुलेट ट्रेन स्टेशन का डिजाइन भी दूध की एक बूंद की तरह ही बनाया गया है जो इस शहर के डेयरी उद्योग के प्रति सम्मान जताता है और इस शहर को ‘Milk Capital’ के रूप में प्रतिष्ठित करता है।

गुजरात के इस शहर के बारे में हम सभी जानते हैं कि कला और संस्कृति का गढ़ है अहमदाबाद। यहां की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को ध्यान में रखते हुए ही इस बुलेट ट्रेन स्टेशन को किसी रंग-बिरंगे पतंग से भरे आसमान जैसा डिजाइन किया गया है। स्टेशन की इमारत का सामने वाला हिस्सा सैय्द सिद्दिकी की जालियों से प्रेरित है जो जीव वृक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का यह आखिरी स्टेशन है। यह महात्मा गांधी के सिंद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है। साबरमती बुलेट ट्रेन स्टेशन का डिजाइन साबरमती नदी और महात्मा गांधी के चरखा से प्रेरित है। इसके अलावा इस स्टेशन की डिजाइन में आपको बुनाई जैसा पैटर्न और कुछ जगहों पर अशोक चक्र जैसा गोलाकार भी दिखेगा।
इस परियोजना के हर स्टेशन में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ पर्यावरण सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा गया है। हर स्टेशन में सोलर पैनल, वर्षाजल संचय प्रणाली और ऊर्जा-बचत प्रकाश व्यवस्था शामिल की गई है। स्टेशनों का डिज़ाइन इस प्रकार से तैयार किया गया है कि वहां अधिक से अधिक प्राकृतिक सूर्य की रोशनी प्रवेश कर सके और वेंटिलेशन भी बेहतर तरीके से हो। इन स्टेशनों के डिज़ाइन में स्थानीय वातावरण और संस्कृति का ध्यान रखते हुए उन इलाकों से संबंधित तत्वों को भी शामिल किया गया है, जो इन स्टेशनों की खूबसूरती और कार्यक्षमता में झलकते हैं।