दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक के रूप में एक नई योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना का नाम है “पुजारी-ग्रंथि सम्मान योजना“, जिसमें दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और ग्रंथियों को ₹18,000 महीने देने का वादा किया गया है। अरविंद केजरीवाल ने इस योजना का उद्घाटन ISBT के पास स्थित मार्गट वाली बाबा मंदिर में किया, जहां उन्होंने कहा, “यह योजना हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।”

बीजेपी का विरोध: चुनावी हिंदू का छुपा हुआ एजेंडा?
बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल के इस कदम पर अपना विरोध प्रकट किया है, यह कहकर कि अगर केजरीवाल इतने ही हिंदू धर्म के प्रति संवेदनशील थे, तो उन्होंने यह योजना पहले क्यों नहीं शुरू की? बीजेपी का कहना है कि इस समय जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है, तब यह योजना एक “चुनावी छल” के रूप में सामने आई है।
बीजेपी यह भी दावा कर रही है कि जब अरविंद केजरीवाल की सरकार 10 साल से अधिक समय से दिल्ली में थी, तब उन्होंने कभी भी पुजारियों और ग्रंथियों के लिए ऐसे कार्यक्रम शुरू नहीं किए। आज इस घोषणा के समय, जब चुनाव की तारीखें नजदीक हैं, बीजेपी यह सवाल उठा रही है कि ऐसे कदम की वजह क्या हो सकती है?
अरविंद केजरीवाल की पुजारी-ग्रंथि सम्मान योजना
अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर पर भी इस योजना को लेकर अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि यह योजना सिर्फ दिल्ली में नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल हो सकती है। “पुजारी-ग्रंथि सम्मान योजना” के तहत, हर पुजारी और ग्रंथी को ₹18,000 प्रति महीने का समर्थन दिया जाएगा। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, और वे अपने धार्मिक कर्तव्यों को बेझिजक अंजाम दे पाएंगे।
बीजेपी और AAP के बीच महाशक्तिशाली राजनीतिक जंग
कुणाल, जो दिल्ली की राजनीति पर गहरी नजर रखते हैं, कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के इस कदम से बीजेपी के आक्रामक हिंदू कार्ड का प्रतिकार कर रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि अगर अरविंद केजरीवाल इतने ही हिंदू धर्म के प्रति संवेदनशील थे, तो उन्होंने यह योजना पहले क्यों नहीं शुरू की? और अगर यह योजना सिर्फ चुनाव के आसपास ही शुरू हो रही है, तो आप खुद समझ सकते हैं कि इसका उद्देश्य क्या हो सकता है।
AAP ने किस वोटर को टार्गेट किया?
अरविंद केजरीवाल ने अपनी यह योजनाएँ सिर्फ हिंदू धार्मिक स्थलों के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं, वृद्ध नागरिकों और अन्य समुदायों के लिए भी कई योजनाएं शुरू की हैं। ये सभी योजनाएँ उनकी एक बड़ी राजनीतिक गंभीरता दिखाती हैं, जिसमें उन्होंने सॉफ्ट हिंदू कार्ड को अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाया है। बीजेपी को इस पर भी जवाब देना होगा, कि अगर वे हिंदुत्व की बात करते हैं तो उन्होंने ऐसी योजनाएँ क्यों नहीं शुरू की?
क्या यह योजना दिल्ली में आने वाले चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकती है?
जब हम दिल्ली के आने वाले चुनावों की बात करते हैं, तो AAP का यह प्रस्ताव एक नए मुद्दे के रूप में उभरकर सामने आ सकता है। बीजेपी कह रही है कि यह सिर्फ एक “फ्रीबी” है, पर AAP का कहना है कि अगर आप हिंदू धर्म और धार्मिक जगहों पर ध्यान देने की बात कर रहे हैं, तो यह योजना क्यों नहीं? अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को उनके खुद के “हिंदू” मुद्दे पर पीछे धकेलने का एक अच्छा अवसर दिया है।
अंतिम विचार
दिल्ली में होने वाले 2025 के विधानसभा चुनावों में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है, और अरविंद केजरीवाल ने इस बार बीजेपी के हिंदू वोटर बेस को टार्गेट करते हुए अपनी योजनाएँ आगे बढ़ाई हैं। आज की इस घोषणा से यह भी साफ है कि अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीतिक रणनीति को बहुत ही सोच-समझकर तैयार कर रहे हैं। AAP और बीजेपी के बीच यह राजनीतिक युद्ध आगे चलकर और भी तेज़ी से बढ़ेगा, जिसमें “पुजारी-ग्रांटी सम्मान योजना” एक महत्वपूर्ण पहलू बनकर उभर सकती है।
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